आज विजयदशमी है यानि वो दिन जब हम सत्य पर असत्य की जीत का जश्न मनाते हैं, पर इस दिन के अलावा अन्य दिन हम क्या करते हैं? यह सोचने का विषय है|
विजयदशमी का सही मतलब बुराई को खत्म करना , वो बुराई बाहर की भी हो सकती है, अंदर की भी| हम जब अपने अंदर के रावण को मारकर , दशहरे मे जाते हैं, तभी हमें ये अधिकार मिलता है कि हम श्रीराम की जीत का जश्न मना सके| अगर अंदर के रावण को न मार पाये, तो ये मात्र छलावा ही होगा|
सच्चे अर्थों मे कलयुग का रावण है- मानवता की कमी, भाईचारे का अभाव, भ्रष्ट-आचरण | हमे पहले इन पर विजय पाना है, जिंदगी मे अगर हम रावण बनकर , राम राज्य की कल्पना करेंगे तो इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता है|
इसीलिए अपने भीतर की कुरीतियों को खत्म करें, अपने अंदर मर्यादा पुरूषोत्तम राम की छवि उतारें, तब ये रावण स्वत: ही खत्म हो जायेगा|
जय श्रीराम, Happy vijaydashmi