#mother ,#love #family #poetry #hindi
वो प्यार भरा , निवाला जो माँ खिलाती थी|
खाने के लिए, हमको कितना बुलाती थी||
वो भी क्या दिन थे यारों
थाली में पूरा परिवार सजाती थी|
ये दादी का , वो दादा ,…
देखते देखते सब चट कर जाते थे,
पेट अपना भरता पर , माँ मुस्कुराती थी||
खाना तो भी आज खाते है,
माँ आज भी मुस्कुराती है|
पर वो दिन, वो खाने के पीछे दौड़,
वो रोना , फिर खाना
वो मां का मनाना
वो निवालों मे मामा का गांव बनाना ,
फिर जल्दी जल्दी कहकर चट करवाना
याद आता है….
वो पापा के आगे , गाय हो जाना
चुपचाप चार्ली सा, सबकुछ कर जाना,
वो गलती पे मां का हमे बचाना
कभी कभी, दिखावे मे डराना
याद आता है….
–
Aditya Mishra
Beautiful poetry!
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So nice of you
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sundar rachna
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Thanks ji
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Nice
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बहुत धन्यवाद
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