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जो नसीब है तेरा, वो भी क्या कमाल है
खुद में ही अस्त्र है, खुद में तू ढाल है।
जो हाल है, क्या हाल है?
सब वक्त का कमाल है।
है ये दौर देखने का,
कितना तुझमें उबाल है।
परख रहे हैं सब अभी,
नहीं कसी कमर तो कस।
न हो हताश, न हो निराश
न पीठ दिखा, न बोल बस।।
ये आंधियां सिखायेंगी,
हवाओं की क्या मजाल है।
ये दौर है देखने का,
कितना तुझमें उबाल है।
न बेखबर हो आप से,
न भीतर के प्रताप से।
सब खेल है समय का,
सब रंग है समय का।
भुजायें फड़फड़ा रही,
आंखें भी सब जला रही।
ठहर के कुछ विचार कर
न अंधेरे में प्रहार कर।
थोड़ा छुपा के रख,
जो खून में उबाल है।
Very well written!!! Sach m josh bhara h in panktiyon m!!!!
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वाह
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बहुत धन्यवाद जी
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Nice write up !!
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Thank you ji
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Badiya badiya ,bahot badiya , pad ke Josh aagaya.
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Thanks ji
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“थोड़ा छुपा के रख,
जो खून में उबाल है।”
Bohot aacha likha hai aapne!
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बहुत धन्यवाद
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Well done achcha likha hai
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Thanks mishraji
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Kamaal. Bawaal. Bemisaal.
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Thanks bhai
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