Dil Bechara: एक सफर दिल से दिल का

विशालकाय शरीर के भीतर एक कोने में छोटा सा ‘दिल बेचारा’ भी रहता है। उसे भी अब देखने का मौका मिल गया। देखते देखते कितनी बार दिल की धड़कनें तेज और आंखों में नमी महसूस हुई, पता नहीं। पर पलकें सोच सोचकर ही झपक रही होंगी। फिल्म की कहानी कोई बहुत अलग या सर्वश्रेष्ठ नहीं है, लेकिन इसमें सुशांत का होना ही काफी है।

यह Film जिंदगी की हंसी और खुशी को मुख्य आधार मानकर अन्य बहुत सारे पहलुओं को छूकर निकल गई। आपकी लाइफ कितनी खूबसूरत हो, इसका चुनाव और तैयारी आप स्वयं कर सकते हैं। यह भरोसा है कि फिल्म के कुछ दृश्य हमेशा याद रखे जाएंगे। डायलॉग लिखने के लिए एक बेहतर कलम का सहारा लिया गया है। इन सबसे अलग सुशांत की मुस्कान और अंदाज शायद अब दोबारा देखने को नहीं मिलने वाला, यह दर्द सबके मन में रहेगा।

लोगों ने दिल खोलकर सुशांत को प्यार दिया, लेकिन मरने के बाद. बॉलीवुड की काली दुनिया पर सवाल उठे, दीये जले, सोशल मीडिया की दीवारों पर बहुत कुछ लिखा-बोला गया.. लेकिन सुशांत के जाने के बाद.

फिल्म का एक डायलॉग है “एक था राजा, एक थी रानी. राजा मर गया, बच गई रानी”. इसमें बहुत हद तक वास्तविकता झलकती है। लोगों ने फिल्म के ट्रेलर से लेकर सीबीआई जांच और अब फिल्म को खूब समर्थन दिया। अगर यही एक समर्थन कुछ दिन पहले मिल गया होता, तो शायद रानी भी जिंदा रहती और राजा भी.

खैर फिल्म आपको इमोशनली हंसाएगी और सबसे ज्यादा जिंदगी का एक महत्वपूर्ण पाठ भी पढ़ायेगी। सुशांत सिंह राजपूत का किरदार और व्यक्तित्व आपको सोचने पर विवश कर देगा कि आखिर क्यों हर बार राजा रानी के मरने से कहानी खत्म हो जाती है!

Adityamishravoice
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